
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज निधन हो गया।
इस बात की पुष्टि उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर की।
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”
— हेमंत सोरेन का भावुक पोस्ट
झारखंड आंदोलन का चेहरा – दिशोम गुरु
शिबू सोरेन को झारखंड में ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता था।
उन्होंने आदिवासी अधिकारों, जल-जंगल-जमीन की लड़ाई और राज्य गठन के लिए एक लंबा संघर्ष किया।
-
3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे
-
कई बार लोकसभा और राज्यसभा सांसद
-
उन्होंने ही JMM को राष्ट्रीय पहचान दिलाई
उनके जाने से झारखंड ही नहीं, पूरे देश की सामाजिक-राजनीतिक चेतना को गहरा झटका लगा है।
हेमंत सोरेन का टूटना – पिता, पथप्रदर्शक और प्रेरणा का जाना
हेमंत सोरेन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जो शब्द लिखे, वो केवल एक बेटे का दर्द नहीं थे, बल्कि एक पीढ़ी के कंधे से अचानक छिन गई छाया का बयान था:
“आज मैं शून्य हो गया हूं।”
— सिर्फ राजनीति नहीं, एक युग की विदाई
राजनीति से अलग व्यक्तित्व
शिबू सोरेन को जनता एक सख्त नेता से कहीं ज़्यादा मानती थी।
उनका जीवन था:
-
आदिवासियों की आवाज़
-
सामाजिक संघर्ष का प्रतीक
-
झारखंड के आत्मसम्मान का प्रतीक चिह्न
सियासी प्रतिक्रियाएं – शोक में डूबा झारखंड
देशभर के नेताओं, पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी है। कई राज्यों में शोक सभा और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
“वो सिर्फ एक नेता नहीं, आंदोलन थे।”
दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन उनके विचार, उनकी लड़ाई और उनका संघर्ष आज भी झारखंड की मिट्टी में धड़कता है।
राजनीति से ऊपर उठकर, उन्होंने जन-आंदोलन की आत्मा को जिंदा रखा। और शायद इसीलिए उनका जाना, एक युग का अंत है।
ईरान बोले – एटम शांति के लिए है, पाकिस्तान बोला – हम भी साथ हैं